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पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए करे ये उपाय, होगा दोगुना फायदा

पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए करे ये उपाय, होगा दोगुना फायदा

किसान भाइयों आजकल दूध और दूध से बने पदार्थ की बहुत मांग रहती है। पशुपालन से किसानों को बहुत लाभ मिलता है। पशुपालन का असली लाभ तभी मिलता है जब उसका पशु पर्याप्त मात्रा में दूध दे और दूध में अच्छा फैट यानी वसा हो। 

क्योंकि बाजार में दूध वसा के आधार पर महंगा व सस्ता बिकता है। आइये जानते हैं कि पशुओं में दूध उत्पादन कैसे बढ़ाया जाये। 

 किसान भाइयों आपको अच्छी तरह से जान लेना चाहिये कि पशुओं में दूध उत्पादन उतना ही बढ़ाया जा सकता है जितना उस नस्ल का पशु दे सकता है।  

ऐसा ही फैट के साथ होता है। दूध में वसा यानी फैट की मात्रा पशु के नस्ल पर आधारित होती है। ये बातें आपको पशु खरीदते समय ध्यान रखनी होंगी और जैसी आपको जरूरत हो उसी तरह का पशु खरीदें।

दूध उत्पादन कम होने के कारण (Due to low milk production)

  1. संतुलित आहार की कमी होना।
  2. पशुओें की देखभाल में कमी होना।
  3. बच्चेदानी की खराबी व अन्य बीमारियों का होना
  4. टीके लगाने का साइड इफेक्ट होना
  5. चारा-पानी के प्रबंधन में कमी होना।

पशुओं की देखभाल कैसे करें

दुधारू पशु की देखभाल किसान भाइयों को 24 घंटे करनी चाहिये। कोई-कोई किसान भाई कहते हैं कि अपने पशुओं के चारे-दाने पर बहुत ज्यादा खर्च कर रहे हैं लेकिन फिर भी उनका दूध उत्पादन नहीं बढ़ता है।  

आपने किसी जानवर को दूध के हिसाब से 5 किलो सुबह और 5 किलो शाम दाना खिला दिया , उसके बाद भी दूध उत्पादन नहीं बढ़ता है। आपको दो समय की जगह पर उतनी ही मात्रा को चार बार देना है और समय-समय पर पानी का प्रबंध भी करना है।

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कैसा होना चाहिये पशुओं का संतुलित आहार

किसान भाइयों  आपको पशुओं की नस्ल, उनकी कद-काठी एवं दूध देने की क्षमता के अनुसार संतुलित आहार देना चाहिये। आइये जानते हैं कुछ खास बातें:-

  1. पशुओं के संतुलित आहार में, 60 प्रतिशत हरा चारा खिलाना चाहिये तथा 40 प्रतिशत सूखा चारा जिसमें दाना व खल भी शामिल है, खिलाना चाहिये।
  2. हरे चारे में घास, हरी फसल व बरसीम आदि देना चाहिये
  3. सूखे चारे में गेहूं, मक्का, ज्वार-बाजरा आदि का मिश्रण बनाकर भूसे के साथ देना चाहिये।
  4. पशुओं को दिन में 30 से 32 लीटर पानी देना चाहिये।
  5. पशुओं में दूध का उत्पादन बढ़ाने गाय को प्रतिदिन 5 किलो और भैंसको प्रतिदिन 10 किलो दाना खिलाना चाहिये।
  6. वैसे तो पशुओं को सुबह शाम सानी की जाती है लेकिन कोशिश करें कि कम से कम तीन बार तो आहार दें और कम से कम इतनी ही बार उन्हें पानी पिलायें।
  7. खली में सरसों ,अलसी व बिनौले की खली देना पशुओं के लिए उत्तम है। इससे दूध और उसका फैट बढ़ता है।

संतुलित आहार का मिश्रण कैसे तैयार करें

  1. गेहूं, जौ, बाजरा और मक्का का दानें से संतुलित आहार तैयार करें। आहार में दाने का हिस्सा 35 प्रतिशत रखना चाहिये।
  2. संतुलित आहार बनाते समय खली का विशेष ध्यान रखना चाहिये। क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग तरह की खली मिलती है। वैसे दूध की क्वालिटी अच्छी करने में सरसों की खली सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि किसी क्षेत्र में सरसों की खली न मिले तो वहां पर मूंगफली की खली, अलसी की खली या बिनौला की खली का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आहार में खली की मात्रा 30 प्रतिशत होनी चाहिये।
  3. चोकर या चूरी भी पशुओं के दूध बढ़ाने में बहुत सहायक हैं। चोकर या चूरी में गेहूं का चोकर,चना की चूरी, दालों की चूरी और राइस ब्रान आदि का प्रयोग संतुलित आहार में किया जाना चाहिये। आहार में चोकर या चूरी की मात्रा भी एक तिहाई रखनी चाहिये।
  4. खनिज लवण दो किलो या अन्य साधारण नमक एक किलो पशुओं को देने से उनका हाजमा सही रहता है तथा पानी भी अधिक पीते हैं। इससे उनके दूध उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
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मौसम के अनुसार करें पशुओं की देखभाल

हमारे देश में प्रमुख रूप से सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम होते हैं। इन मौसमों में पशुओं की देखभाल करनी जरूरी होती है।

  1. चाहे कोई सा मौसम हो पशुओं को स्वच्छ व ताजा पानी पिलाना चाहिये। ताजे पानी से वो पेट भर कर पानी पी लेगा। बासी व गंदा पानी पीने से अनेक तरह की बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। सर्दियों में ठंडा बर्फीला और गर्मियों में गर्म पानी होने से पशु अपनी प्यास का आधा ही पानी पी पाता है। इससे उसके स्वास्थ्य को तो नुकसान होता ही है और उसके दुग्ध उत्पादन पर भी विपरीत असर पड़ता है।
  2. आवास का प्रबंधन करना होगा। गर्मियों में पशुओं को गर्मी के प्रकोप से बचाना होता है। उन्हें प्रचंड धूप व गर्म हवा लू से बचायें। धूप के समय उनको साये में बनी पशुशाला में रखें। उन्हें अधिक बार पानी पिलायें। पानी पर्याप्त मात्रा में हो तो दिन में एक बार उन्हें ताजे पानी से नहलायें। इससे उनके शरीर का तापमान सामान्य रहेगा और स्वस्थ रहकर दुग्ध उत्पादन बढ़ा पायेंगे।
  3. सर्दियों में पशुओं के आवास का विशेष प्रबंधन करना होता है। शाम को या जिस दिन अधिक सर्दी हो, तब उन्हें साये वाले पशुशाला में रखें। उनके शरीर पर बोरे की पल्ली ओढ़ायें। पशु शाला में थोड़ी देर के लिए आग जलायें। आग जलाते समय स्वयं मौजूद रहें। जब आपका कहीं जाना हो तो आग को बुझायें । यदि तसले आदि में आग जलाई हो तो वहां से हटा दें।

मौसम के अनुसार आहार पर भी दें ध्यान

मौसम के बदलाव के अनुसार पशुओं के आहार में भी बदलाव करना चाहिये। गर्मियों के मौसम में संतुलित आहार बनाते समय किसान भाइयों को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि वो अपने पशुओं को ऐसी कोई चीज न खिलायें जिसकी तासीर गर्म होती हो। इस समय गुड़ और बाजरे से परहेज करना चाहिये।

गर्मियों के मौसम का आहार

गर्मियों के लिए आहार में गेहूं, जौ, मक्के का दलिया,चने का खोल, मूंग का छिलका, चने की चूरी, सोयाबीन, उड़द, जौ, तारामीरा,आंवला और सेंधा नमक का मिश्रण तैयार करके पशुओं को देना चाहिये।

सर्दियों के मौसम का आहार

सर्दियों के मौसम के आहार में गेहूं, मक्का, बाजरा का दलिया, चने की चूरी, सोयाबीन, दाल की चूरी, हल्दी, खाद्य लवण व सादा नमक का मिश्रण तैयार करें। 

इसके अलावा सर्दियों के मौसम में गुड़ और सरसों का तेल भी दें। बाजरा और गुड़ का दलिया भी अलग से दे सकते हैं। यह ध्यान रहे कि यह दलिया केवल अधिक सर्दियों में ही दें। 

खास बात

पशुओं को खली देने के बारे में भी सावधानी बरतें। सर्दियों के समय हम खली को रात भर भिगोने के बाद पशुओं को देते हैं। गर्मियों में ऐसा नहीं करना चाहिये। सानी करने से मात्र दो-तीन घंटे पहले ही भिगो कर ही दें।

फैट्स बढ़ाने के तरीके

पशुओं में फैट्स उनकी नस्ल की सीमा से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। फिर भी कोई पशु अपनी नस्ल की सीमा से कम फैट देता है तो उसको बढ़ाने के लिए निम्न उपाय करें:-

  1. शाम को जब पशुओं को रात्रि विश्राम के लिए बांधा जाये तो उस समय 300 ग्राम सरसों के तेल को 300 ग्राम गेहूं के आटे में मिलाकर दें और उसके बाद पानी न दें।
  2. अच्छा फैट देने वाले किसान भाइयों को चाहिये कि वो दूध दुहने से दो घंटे पहले ही पानी पिलायें, उसके बाद नहीं । ऐसा करने से फैट बढ़ेगा।
  3. दूध दुहने से पहले बच्चे को पहले दूध पिलायें क्योंकि पहले वाले दूध में फैट कम होता है और बाद वाले दूध में फैट अधिक होता है। यदि आपका दुधारू पशु दस-12 लीटर दूध देता है तो उसको एक चौथाई दूध दुह कर बर्तन बदल लें। बाद में जो दूध दुहेंगे उसमें फैट पहले वाले से अधिक निकलेगा।

350 करोड़ में यह सरकार 70% तक बढ़ाएगी दूध का उत्पादन, आपके लिए भी हो सकती है खुशखबरी

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आजकल किसानी और पशुपालन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। पशुओं का ज्यादा पालन दूध उत्पादन के लिए किया जाता है। आजकल बाज़ार में दूध और उससे बने उत्पादों की डिमांड ज्यादा होने के कारण भारत की बड़ी आबादी दुग्ध उत्पादन से जुड़ी हुई है। लगभग देश भर में हर सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाती हैं। पशुपालकों की मदद करने के लिए सरकारें बहुत से कदम उठा रही हैं। जहां कई जगह पर किसानों को पशु खरीदने के लिए अनुदान राशि और लोन दिया जा रहा है। वहीं पर बहुत जगह पशुओं का बीमा भी किया जा रहा है। इसके अलावा डेयरी फार्मिंग के लिए सरकारें सब्सिडी भी देती हैं। दुग्ध उत्पादन के कारोबार में देश की एक और राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इससे राज्य में रहने वाले सभी लोगों को इस योजना से काफी फायदा होने वाला है।

जम्मू कश्मीर में डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए दिया जाएगा 350 करोड़

डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। जम्मू कश्मीर सरकार ने अगले 5 साल में डेयरी क्षेत्र को विकसित करने के लिए 350 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पैसे की मदद से दुग्ध उत्पादन को अच्छी तरह से बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से तैयारी की जाएगी। माना जा रहा है, कि राज्य सरकार सीधा पशुपालकों से खुल को जोड़कर स्कीम के तहत काम करेगी।

रोजगार के भी बढ़ेंगे अवसर

जम्मू कश्मीर सरकार राज्य के युवाओं को रोजगार देने की कवायद भी कर रही है। इस नई योजना के अनुसार, दुग्ध उत्पादन में 16,000 युवाओं को नौकरियां मिलेंगी। माना जा रहा है, कि यह ऐसी योजना है, कि इसका सीधा-सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा।
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दुग्ध उत्पादन बढ़ावा देने को मंजूरी

जम्मू कश्मीर सरकार पहले भी पशु पालकों की मदद करती रही है और अभी योजना के तहत माना जा रहा है। अगले 5 साल में जम्मू-कश्मीर में दूध का उत्पादन लगभग 70% तक बढ़ जाएगा।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू जी ने महिलाओं व विद्यार्थियों को संबोधित किया

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू जी ने महिलाओं व विद्यार्थियों को संबोधित किया

महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू जी के मुख्य आतिथ्य में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का 19वां दीक्षांत समारोह संपन्न किया गया। इसके चलते उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति की एक अहम और महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के शताब्दी वर्ष में 19वां दीक्षांत समारोह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मुख्य आतिथ्य में हुआ है। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक प्रमुख अतिथि थे। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा है, कि भारत में डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति प्रमुख भूमिका निभा रही है। डेयरी क्षेत्र में 70 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी महिलाओं की है। अत्यंत खुशी की बात है, कि आज डिग्री धारक विद्यार्थियों में एक-तिहाई से ज्यादा लड़कियां शम्मिलित हैं। स्वर्ण पदक हांसिल करने वाले विद्यार्थियों में भी 50 प्रतिशत लड़कियां ही हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने डेयरी क्षेत्र से संबंधित क्या कहा है ?

राष्ट्रपति मुर्मू जी का कहना है, कि डेयरी क्षेत्र का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाने में अहम महत्व है। हमें यह सुनिश्चित करने की बेहद आवश्यकता है, कि इन महिलाओं के पास फैसला लेने एवं नेतृत्व प्रदान करने के लिए समान अधिकार और अवसर हों। इसके लिए इन महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास हेतु अधिक अवसर मुहैय्या कराने की जरूरत है। साथ ही, डेयरी फार्मिंग में महिलाओं को उद्यमी बनाने हेतु सुगमता से ऋण की सुविधा और बाजार पहुंच की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने पंजाब- हरियाणा के कृषकों ने हरित क्रांति के साथ-साथ श्वेत क्रांति की सफलता में भी प्रमुख भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए किसानों का अभिनंदन किया है। उन्होंने कहा है, कि दूध व दूध से जुड़े उत्पाद सदैव ही भारतीय खान-पान एवं संस्कृति का अटूट भाग रहे हैं। मां के दूध के साथ गाय का दूध भी सेहत के लिए अमृत माना गया है।

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गाय के दूध को वेदों में अमृत के समान दर्जा दिया गया है

ऋग्वेद में कहा गया है, कि गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा अर्थात गोदुग्ध अमृत के समतुल्य है। जो रोगों से संरक्षण करता है। दूध को काफी पवित्र माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल देवताओं का अभिषेक करने के लिए भी किया जाता है। आज भी भारत में बुजुर्गों द्वारा महिलाओं को 'दूधो नहाओ-पूतो फलो' का आशीर्वाद प्रदान किया जाता है। गाय व बाकी पशुधन भारतीय समाज-परंपराओं का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। भारतीय परंपरा में गाय समेत पशुधन को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। गाय के प्रति श्रीकृष्ण का प्रेम, शिवजी और नंदी की कहानियां भी हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं। कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन आजीविका या जीवनयापन का प्रमुख साधन हैं।

डेयरी उघोग ने भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की है

राष्ट्रपति मुर्मू जी का कहना है, कि डेयरी उद्योग भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। गौरवान्वित करने वाली यह बात है, कि भारत विश्व का सर्वोच्च दूध उत्पादक देश है। भारत के वैश्विक दूध उत्पादन में तकरीबन 22 प्रतिशत भागीदारी है। डेयरी क्षेत्र का भारत की जीडीपी में तकरीबन 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। डेयरी उद्योग तकरीबन 8 करोड़ परिवारों को आय का जरिया बनता है। इस वजह से एनडीआरआई जैसे संस्थानों की भारत के समावेशी विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। वर्ष 1923 में स्थापित एनडीआरआई द्वारा भारत में डेयरी उद्योग के विकास में विशेष योगदान दिया है। संस्थान के अनुसंधान ने डेयरी उत्पादन क्षेत्र में उत्पादकता, कुशलता और गुणवत्ता को सुधारने में सहायता प्रदान की है। उन्होंने खुशी जाहिर की है, कि एनडीआरआई ने ज्यादा दूध देने वाली भैंसों और गायों के क्लोन से उत्पादन करने की तकनीक विकसित की गई है। इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में इजाफा किया जा सकेगा। किसानों की आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी।

बढ़ती जनसँख्या से दूध की मांग में हुई वृद्धि

उन्होंने बताया है, कि भारत की बढ़ती जनसँख्या की वजह दूध से संबंधित उत्पादों की मांग बढ़ रही है। साथ ही, पशुओं के लिए बेहतरीन गुणवत्तावाले चारे का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में बदलाव व पशुओं की बीमारियां, इन समस्त परेशानियों से डेयरी क्षेत्र जूझ रहा है। दूध उत्पादन, डेयरी फार्मिंग को स्थिर बनाना हमारे समक्ष एक चुनौती है, जिसका निराकरण निकालकर भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार समेत समस्त स्टैकहोल्डर्स की है। हम सबकी जिम्मेदारी है, कि हम पशु-कल्याण को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण अनुकूल एवं जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियां अपनाकर डेयरी उद्योग का विकास करें। उन्होंने इस पर भी हर्ष व्यक्त किया है, कि एनडीआरआई डेयरी फार्मों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने हेतु बहुत सारी तकनीकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। साथ ही, बायोगैस उत्पादन जैसे क्लीन एनर्जी के स्रोतों पर भी जोर दे रहा है।

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों को किया संबोधित

महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू जी का विद्यार्थियों से कहना है, कि आप जीवन के नए अध्याय की तरफ बढ़ रहे हैं। आप हमेशा नवीनतम जानकारियों और सीखने के लिए प्रयत्नशील रहें और जनकल्याण के लिए काम करें। आपमें से कुछ विद्यार्थी डेयरी उद्योग में रोजगार प्रदाता व उद्यमी अवश्य बनें। इस उद्योग में विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। साथ ही, आपको इन संभावनाओं का फायदा उठाना चाहिए। एनडीआरआई द्वारा देश के बहुत सारे हिस्सों में डेयरी क्षेत्र में उद्यमशीलता और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर कोशिशें की जा रही हैं। आशा है, कि आप इसका व सरकार की बाकी योजनाओं का फायदा लेते हुए उद्यमी के तौर पर आरंभ करेंगे और राष्ट्र की उन्नति में सर्वोच्च योगदान प्रदान करेंगे।

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने क्या कहा है ?

केंद्रीय मंत्री तोमर का कहना है, कि एनडीआरआई देश का अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान है, जिसने 100 साल की गौरवशाली यात्रा संपन्न की है। भारतभर में कृषि विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा में आईसीएआर से सम्बद्ध एनडीआरआई ने निरंतर 5 सालों तक पहला स्थान प्राप्त किया। जो कि गौरव की बात है। उन्होंने कहा है, कि पशुपालन-डेयरी क्षेत्र में आज भारत जिस स्थिति में खड़ा है, उसमें वैज्ञानिकों का योगदान भी अविश्वसनीय और सराहनीय है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें कृषि क्षेत्र की कल्पना पशुपालन व मत्स्यपालन के बगैर करना मुमकिन नहीं है। विशेष तौर पर लघु व भूमिहीन किसानों की रोजी-रोटी तो पशुपालन पर भी निर्भर करती है।

पशुपालन का कृषि क्षेत्र में अहम योगदान रहा है

कृषि की जीडीपी में पशुपालन का उल्लेखनीय योगदान है। इस क्षेत्र की जो चुनौतियां है, उनका निराकरण करते हुए आगे चलते रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया है, कि भारत में वर्ष 2021-22 में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 444 ग्राम प्रतिदिन रही। वहीं, 2021 के समय वैश्विक औसत 394 ग्राम प्रतिदिन था। भारत में 2013-14 से 2021-22 के मध्य दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में तकरीबन 44% की बढ़ोत्तरी हुई है। तोमर का कहना है, कि किसी भी विद्यार्थी के लिए दीक्षांत समारोह उसके जीवन का अवस्मरणीय पल होता है। यह और भी गौरवमयी बात है, कि साथ में शताब्दी समारोह का भी शुभारंभ है। उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा गया है, कि वह भारत की बड़ी सेवा में लगने वाले हैं।